कांग्रेस के प्रवक्ता और सीनियर नेता गौरव वल्लभ ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है . उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में अपना इस्तीफा पोस्ट किया. गौरव वल्लभ ने कहा कि वह सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकते और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकते हैं. इसलिए वह कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ सभी पदों से इस्तीफा दे रहे हैं.
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में कहा,’भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता.’
पार्टी में असहज महसूस कर रहे थे गौरव वल्लभ
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे लिखा,’मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं. जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती.’
नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ रही दूरी
गौरव वल्लभ ने अपने पत्र में लिखा,’पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही है. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है, जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता, तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.